आकाश की ख़ूबसूरती उसमे दिखने वाले चांद, तारे, या बदलो से नहीं है। ये सब अस्थाई है। आज लाल दिखने वाले बादल कल नीले होंगे और पर्सों नही होंगे। आज अगर पूर्णमासी है तो कुछ दिन में अमावस भी होगी। तारे भी टूट ही जाते हैं। अविनाशी रहेगी तो सिरफ उसकी अनंतता। ये अनंतता काले बदलो को समेट लेती है, तारो की तपत को भी शीतल करती है, और चांद जो किसी और का ही होता है, उससे भी कोई शिकायत नहीं करती।
आकाश का चुप रहके सब सह लेने की स्थिति को मजबूरी मानने वाले लोग हमेशा उसका मात्र एक हिस्सा ही रह जाते, आकाश नहीं बन पाते।